स्तोत्र 86:1-10 HCV

स्तोत्र 86:1-10

स्तोत्र 86

दावीद की एक प्रार्थना

याहवेह, मेरी बिनती सुनकर मुझे उत्तर दीजिए,

क्योंकि मैं दरिद्र तथा दीन हूं.

मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए, क्योंकि मैं आपके प्रति समर्पित हूं;

अपने इस सेवक को बचा लीजिए, जिसने आप पर भरोसा रखा है.

आप मेरे परमेश्वर हैं; प्रभु, मुझ पर कृपा कीजिए,

क्योंकि मैं सारा दिन आपको पुकारता रहता हूं.

अपने सेवक के प्राणों में आनंद का संचार कीजिए,

क्योंकि, प्रभु, मैं अपना प्राण आपकी ओर उठाता हूं.

प्रभु, आप कृपानिधान एवं क्षमा शील हैं, उन सभी के प्रति,

जो आपको पुकारते हैं, आपका करुणा-प्रेम महान है.

याहवेह, मेरी प्रार्थना सुनिए;

कृपा कर मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.

संकट के अवसर पर मैं आपको पुकारूंगा,

क्योंकि आप मुझे उत्तर देंगे.

प्रभु, देवताओं में कोई भी आपके तुल्य नहीं है;

आपके कृत्यों की तुलना किसी अन्य से नहीं की जा सकती.

आपके द्वारा बनाए गए समस्त राष्ट्रों के लोग,

हे प्रभु, आपके सामने आकर आपकी वंदना करेंगे;

वे आपकी महिमा का आदर करेंगे.

क्योंकि आप महान हैं और अद्भुत हैं आपके कृत्य;

मात्र आप ही परमेश्वर हैं.

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