स्तोत्र 78:56-72 HCV

स्तोत्र 78:56-72

इतना सब होने के बाद भी उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली,

उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया;

उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को भंग कर दिया.

अपने पूर्वजों के जैसे वे भी अकृतज्ञ तथा विश्वासघाती हो गए;

वैसे ही अयोग्य, जैसा एक दोषपूर्ण धनुष होता है.

उन्होंने देवताओं के लिए निर्मित वेदियों के द्वारा परमेश्वर के क्रोध को भड़काया है;

उन प्रतिमाओं ने परमेश्वर में डाह भाव उत्तेजित किया.

उन्हें सुन परमेश्वर को अत्यंत झुंझलाहट सी हो गई;

उन्होंने इस्राएल को पूर्णतः छोड़ दिया.

उन्होंने शीलो के निवास-मंडप का परित्याग कर दिया,

जिसे उन्होंने मनुष्य के मध्य बसा दिया था.

परमेश्वर ने अपने सामर्थ्य के संदूक को बन्दीत्व में भेज दिया,

उनका वैभव शत्रुओं के वश में हो गया.

उन्होंने अपनी प्रजा तलवार को भेंट कर दी;

अपने ही निज भाग पर वह अत्यंत उदास थे.

अग्नि उनके युवाओं को निगल कर गई,

उनकी कन्याओं के लिए कोई भी वैवाहिक गीत-संगीत शेष न रह गया.

उनके पुरोहितों का तलवार से वध कर दिया गया,

उनकी विधवाएं आंसुओं के लिए असमर्थ हो गईं.

तब मानो प्रभु की नींद भंग हो गई, कुछ वैसे ही,

जैसे कोई वीर दाखमधु की होश से बाहर आ गया हो.

परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को ऐसे मार भगाया;

कि उनकी लज्जा चिरस्थाई हो गई.

तब परमेश्वर ने योसेफ़ के मण्डपों को अस्वीकार कर दिया,

उन्होंने एफ्राईम के गोत्र को नहीं चुना;

किंतु उन्होंने यहूदाह गोत्र को चुन लिया,

अपने प्रिय ज़ियोन पर्वत को.

परमेश्वर ने अपना पवित्र आवास उच्च पर्वत जैसा निर्मित किया,

पृथ्वी-सा चिरस्थाई.

उन्होंने अपने सेवक दावीद को चुन लिया,

इसके लिए उन्होंने उन्हें भेड़शाला से बाहर निकाल लाया;

भेड़ों के चरवाहे से उन्हें लेकर परमेश्वर ने

उन्हें अपनी प्रजा याकोब का रखवाला बना दिया,

इस्राएल का, जो उनके निज भाग हैं.

दावीद उनकी देखभाल हृदय की सच्चाई में करते रहे;

उनके कुशल हाथों ने उनकी अगुवाई की.

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