स्तोत्र 69:1-12 HCV

स्तोत्र 69:1-12

स्तोत्र 69

संगीत निर्देशक के लिये. “शोशनीम” धुन पर आधारित. दावीद की रचना.

परमेश्वर, मेरी रक्षा कीजिए,

क्योंकि जल स्तर मेरे गले तक आ पहुंचा है.

मैं गहरे दलदल में डूब जा रहा हूं,

यहां मैं पैर तक नहीं टिक पा रहा हूं.

मैं गहरे जल में आ पहुंचा हूं;

और चारों ओर से जल मुझे डूबा रहा है.

सहायता के लिए पुकारते-पुकारते मैं थक चुका हूं;

मेरा गला सूख चुका है.

अपने परमेश्वर की प्रतीक्षा

करते-करते मेरी दृष्टि धुंधली हो चुकी है.

जो अकारण ही मुझसे बैर करते हैं

उनकी संख्या मेरे सिर के केशों से भी बढ़कर है;

बलवान हैं वे, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए हैं,

वे सभी मुझे मिटा देने पर सामर्थ्यी हैं.

जो मैंने चुराया ही नहीं,

उसी की भरपाई मुझसे ली जा रही है.

परमेश्वर, आप मेरी मूर्खतापूर्ण त्रुटियों से परिचित हैं;

मेरे दोष आपसे छिपे नहीं हैं.

मेरी प्रार्थना है कि मेरे कारण

आपके विश्वासियों को लज्जित न होना पड़े.

प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह,

मेरे कारण,

इस्राएल के परमेश्वर,

आपके खोजियों को लज्जित न होना पड़े.

मैं यह लज्जा आपके निमित्त सह रहा हूं,

मेरा मुखमंडल ही घृणास्पद हो चुका है.

मैं अपने परिवार के लिए अपरिचित हो चुका हूं;

अपने ही भाइयों के लिए मैं परदेशी हो गया हूं.

आपके भवन की धुन में जलते जलते मैं भस्म हुआ,

तथा आपके निंदकों द्वारा की जा रही निंदा मुझ पर पड़ रही है.

जब मैंने उपवास करते हुए विलाप किया,

तो मैं उनके लिए घृणा का पात्र बन गया;

जब मैंने शोक-वस्त्र धारण किए,

तो लोग मेरी निंदा करने लगे.

नगर द्वार पर बैठे हुए पुरुष मुझ पर ताना मारते हैं,

मैं पियक्कड़ पुरुषों के गीतों का विषय बन चुका हूं.

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