स्तोत्र 57:7-11
मेरा हृदय निश्चिंत है, परमेश्वर,
मेरा हृदय निश्चिंत है;
मैं स्तुति करते हुए गाऊंगा और संगीत बजाऊंगा.
मेरी आत्मा, जागो!
नेबेल और किन्नोर जागो!
मैं उषःकाल को जागृत करूंगा.
प्रभु, मैं लोगों के मध्य आपका आभार व्यक्त करूंगा;
राष्ट्रों के मघ्य मैं आपका स्तवन करूंगा.
क्योंकि आपका करुणा-प्रेम आकाश से भी महान है;
आपकी सच्चाई अंतरीक्ष तक जा पहुंचती है.
परमेश्वर, आप सर्वोच्च स्वर्ग में बसे हैं;
आपका तेज समस्त पृथ्वी को भयभीत करें.