स्तोत्र 51:1-9 HCV

स्तोत्र 51:1-9

स्तोत्र 51

संगीत निर्देशक के लिये. दावीद का एक स्तोत्र. यह उस अवसर का लिखा है जब दावीद ने बैथशेबा से व्यभिचार किया और भविष्यद्वक्ता नाथान ने दावीद का सामना किया था.

परमेश्वर, अपने करुणा-प्रेम51:1 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं में,

अपनी बड़ी करुणा में;

मुझ पर दया कीजिए,

मेरे अपराधों को मिटा दीजिए.

मेरे समस्त अधर्म को धो दीजिए

और मुझे मेरे पाप से शुद्ध कर दीजिए.

मैंने अपने अपराध पहचान लिए हैं,

और मेरा पाप मेरे दृष्टि पर छाया रहता है.

वस्तुतः मैंने आपके, मात्र आपके विरुद्ध ही पाप किया है,

मैंने ठीक वही किया है, जो आपकी दृष्टि में बुरा है;

तब जब आप अपने न्याय के अनुरूप दंड देते हैं,

यह हर दृष्टि से न्याय संगत एवं उपयुक्त है.

इसमें भी संदेह नहीं कि मैं जन्म के समय से ही पापी हूं,

हां, उसी क्षण से, जब मेरी माता ने मुझे गर्भ में धारण किया था.

यह भी बातें हैं कि आपकी यह अभिलाषा है, कि हमारी आत्मा में सत्य हो;

तब आप मेरे अंतःकरण में भलाई प्रदान करेंगे.

जूफ़ा पौधे की टहनी से मुझे स्वच्छ करें, तो मैं शुद्ध हो जाऊंगा;

मुझे धो दीजिए, तब मैं हिम से भी अधिक श्वेत हो जाऊंगा.

मुझमें हर्षोल्लास एवं आनंद का संचार कीजिए;

कि मेरी हड्डियां जिन्हें आपने कुचल दी हैं, मगन हो उठें.

मेरे पापों को अपनी दृष्टि से दूर कर दीजिए

और मेरे समस्त अपराध मिटा दीजिए.

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