स्तोत्र 37:21-31 HCV

स्तोत्र 37:21-31

दुष्ट ऋण लेकर उसे लौटाता नहीं,

किंतु धर्मी उदारतापूर्वक देता रहता है;

याहवेह द्वारा आशीषित पुरुष पृथ्वी के भागी होंगे,

याहवेह द्वारा शापित पुरुष नष्ट कर दिए जाएंगे.

जिस पुरुष के कदम याहवेह द्वारा नियोजित किए जाते हैं,

उसके आचरण से याहवेह प्रसन्‍न होते हैं;

तब यदि वह लड़खड़ा भी जाए, वह गिरेगा नहीं,

क्योंकि याहवेह उसका हाथ थामे हुए हैं.

मैंने युवावस्था देखी और अब मैं प्रौढ़ हूं,

किंतु आज तक मैंने न तो धर्मी को शोकित होते देखा है

और न उसकी संतान को भीख मांगते.

धर्मी सदैव उदार ही होते हैं तथा उदारतापूर्वक देते रहते हैं;

आशीषित रहती है उनकी संतान.

बुराई से परे रहकर परोपकार करो;

तब तुम्हारा जीवन सदैव सुरक्षित बना रहेगा.

क्योंकि याहवेह को सच्चाई प्रिय है

और वे अपने भक्तों का परित्याग कभी नहीं करते.

वह चिरकाल के लिए सुरक्षित हो जाते हैं;

किंतु दुष्ट की सन्तति मिटा दी जाएगी.

धर्मी पृथ्वी के भागी होंगे

तथा उसमें सर्वदा निवास करेंगे.

धर्मी अपने मुख से ज्ञान की बातें कहता है,

तथा उसकी जीभ न्याय संगत वचन ही उच्चारती है.

उसके हृदय में उसके परमेश्वर की व्यवस्था बसी है;

उसके कदम फिसलते नहीं.

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