स्तोत्र 37:10-20
कुछ ही समय शेष है जब दुष्ट का अस्तित्व न रहेगा;
तुम उसे खोजने पर भी न पाओगे.
किंतु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे,
वे बड़ी समृद्धि में आनंदित रहेंगे.
दुष्ट धर्मियों के विरुद्ध बुरी युक्ति रचते रहते हैं,
उन्हें देख दांत पीसते रहते हैं;
किंतु प्रभु दुष्ट पर हंसते हैं,
क्योंकि वह जानते हैं कि उसके दिन समाप्त हो रहे हैं.
दुष्ट तलवार खींचते हैं
और धनुष पर डोरी चढ़ाते हैं
कि दुःखी और दीन दरिद्र को मिटा दें,
उनका वध कर दें, जो सीधे हैं.
किंतु उनकी तलवार उन्हीं के हृदय को छेदेगी
और उनके धनुष टूट जाएंगे.
दुष्ट की विपुल संपत्ति की अपेक्षा
धर्मी की सीमित राशि ही कहीं उत्तम है;
क्योंकि दुष्ट की भुजाओं का तोड़ा जाना निश्चित है,
किंतु याहवेह धर्मियों का बल हैं.
याहवेह निर्दोष पुरुषों की आयु पर दृष्टि रखते हैं,
उनका निज भाग सर्वदा स्थायी रहेगा.
संकट काल में भी उन्हें लज्जा का सामना नहीं करना पड़ेगा;
अकाल में भी उनके पास भरपूर रहेगा.
दुष्टों का विनाश सुनिश्चित है:
याहवेह के शत्रुओं की स्थिति घास के वैभव के समान है,
वे धुएं के समान विलीन हो जाएंगे.