स्तोत्र 35:11-18
क्रूर साक्ष्य मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं;
वे मुझसे उन विषयों की पूछताछ कर रहे हैं, जिनका मुझे कोई ज्ञान ही नहीं है.
वे मेरे उपकार का प्रतिफल अपकार में दे रहे हैं,
मैं शोकित होकर रह गया हूं.
जब वे दुःखी थे, मैंने सहानुभूति में शोक-वस्त्र धारण किए,
यहां तक कि मैंने दीन होकर उपवास भी किया.
जब मेरी प्रार्थनाएं बिना कोई उत्तर के मेरे पास लौट आईं,
मैं इस भाव में विलाप करता चला गया
मानो मैं अपने मित्र अथवा भाई के लिए विलाप कर रहा हूं.
मैं शोक में ऐसे झुक गया
मानो मैं अपनी माता के लिए शोक कर रहा हूं.
किंतु यहां जब मैं ठोकर खाकर गिर पड़ा हूं, वे एकत्र हो आनंद मना रहे हैं;
इसके पूर्व कि मैं कुछ समझ पाता, वे मुझ पर आक्रमण करने के लिए एकजुट हो गए हैं.
वे लगातार मेरी निंदा कर रहे हैं.
जब वे नास्तिक जैसे मेरा उपहास कर रहे थे, उसमें क्रूरता का समावेश था;
वे मुझ पर दांत भी पीस रहे थे.
याहवेह, आप कब तक यह सब चुपचाप ही देखते रहेंगे?
उनके विनाशकारी कार्य से मेरा बचाव कीजिए,
सिंहों समान इन दुष्टों से मेरी रक्षा कीजिए.
महासभा के सामने मैं आपका आभार व्यक्त करूंगा;
जनसमूह में मैं आपका स्तवन करूंगा.