स्तोत्र 33:1-11
स्तोत्र 33
धर्मियों, याहवेह के लिए हर्षोल्लास में गाओ;
उनका स्तवन करना सीधे लोगों के लिए शोभनीय होता है.
किन्नोर की संगत पर याहवेह का धन्यवाद करो;
दस तंतुओं के नेबेल पर उनके लिए संगीत गाओ.
उनके स्तवन में एक नया गीत गाओ;
कुशलतापूर्वक वादन करते हुए तन्मय होकर गाओ.
क्योंकि याहवेह का वचन सत्य और खरा है;
अपने हर एक कार्य में वह विश्वासयोग्य हैं.
उन्हें धर्म तथा न्याय प्रिय हैं;
समस्त पृथ्वी में याहवेह का करुणा-प्रेम व्याप्त है.
स्वर्ग याहवेह के आदेश से ही अस्तित्व में आया,
तथा समस्त नक्षत्र उनके ही मुख के उच्छ्वास के द्वारा बनाए गए.
वे महासागर के जल को एक ढेर जल राशि के रूप में एकत्र कर देते हैं;
और गहिरे सागरों को भण्डारगृह में रखते हैं.
समस्त पृथ्वी याहवेह को डरे;
पृथ्वी के समस्त वासी उनके भय में निस्तब्ध खड़े हो जाएं.
क्योंकि उन्हीं के आदेश मात्र से यह पृथ्वी अस्तित्व में आई;
उन्हीं के आदेश से यह स्थिर भी हो गई.
याहवेह राष्ट्रों की युक्तियां व्यर्थ कर देते हैं;
वह लोगों की योजनाओं को विफल कर देते हैं.
इसके विपरीत याहवेह की योजनाएं सदा-सर्वदा स्थायी बनी रहती हैं,
उनके हृदय के विचार पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहते हैं.