स्तोत्र 31:1-8
स्तोत्र 31
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद का एक स्तोत्र.
याहवेह, मैंने आप में ही शरण ली है;
मुझे कभी लज्जित न होने दीजिए;
अपनी धार्मिकता के कारण हे परमेश्वर, मेरा बचाव कीजिए.
मेरी पुकार सुनकर,
तुरंत मुझे छुड़ा लीजिए;
मेरी आश्रय-चट्टान होकर मेरे उद्धार का,
दृढ़ गढ़ बनकर मेरी रक्षा कीजिए.
इसलिये कि आप मेरी चट्टान और मेरा गढ़ हैं,
अपनी ही महिमा के निमित्त मेरे मार्ग में अगुवाई एवं संचालन कीजिए.
मुझे उस जाल से बचा लीजिए जो मेरे लिए बिछाया गया है,
क्योंकि आप ही मेरा आश्रय-स्थल हैं.
अपनी आत्मा मैं आपके हाथों में सौंप रहा हूं;
याहवेह, सत्य के परमेश्वर, आपने ही मुझे मुक्त किया है.
मुझे घृणा है व्यर्थ प्रतिमाओं के उपासकों से;
किंतु मेरी, आस्था है याहवेह में.
मैं हर्षित होकर आपके करुणा-प्रेम31:7 करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं में उल्लसित होऊंगा,
आपने मेरी पीड़ा पर ध्यान दिया
और मेरे प्राण की वेदना को पहचाना है.
आपने मुझे शत्रु के हाथों में नहीं सौंपा
और आपने मेरे पैरों को एक विशाल स्थान पर स्थापित किया है31:8 अर्थात् “मुझे स्वतंत्र चलने फिरने की स्थिति प्रदान की”.