स्तोत्र 27:1-6
स्तोत्र 27
दावीद की रचना.
याहवेह मेरी ज्योति और उद्धार हैं;
मुझे किसका भय हो सकता है?
याहवेह मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ हैं,
तो मुझे किसका भय?
जब दुर्जन मुझे निगलने के लिए
मुझ पर आक्रमण करते हैं,
जब मेरे विरोधी तथा मेरे शत्रु मेरे विरुद्ध उठ खड़े होते हैं,
वे ठोकर खाकर गिर जाते हैं.
यदि एक सेना भी मुझे घेर ले,
तब भी मेरा हृदय भयभीत न होगा;
यदि मेरे विरुद्ध युद्ध भी छिड़ जाए,
तब भी मैं पूर्णतः निश्चिंत बना रहूंगा.
याहवेह से मैंने एक ही प्रार्थना की है,
यही मेरी आकांक्षा है:
मैं आजीवन याहवेह के आवास में निवास कर सकूं,
कि याहवेह के सौंदर्य को देखता रहूं
और उनके मंदिर में मनन करता रहूं.
क्योंकि वही हैं जो संकट काल में
मुझे आश्रय देंगे;
वही मुझे अपने गुप्त-मंडप के आश्रय में छिपा लेंगे
और एक उच्च चट्टान में मुझे सुरक्षा प्रदान करेंगे.
तब जिन शत्रुओं ने मुझे घेरा हुआ है,
उनके सामने मेरा मस्तक ऊंचा हो जाएगा.
तब उच्च हर्षोल्लास के साथ मैं याहवेह के गुप्त-मंडप में बलि अर्पित करूंगा;
मैं गाऊंगा, हां, मैं याहवेह की वंदना करूंगा.