स्तोत्र 25:1-7 HCV

स्तोत्र 25:1-7

स्तोत्र 25

दावीद की रचना.

याहवेह, मैंने आप पर

अपनी आत्मा समर्पित की है.

मेरे परमेश्वर, मैंने आप पर भरोसा किया है;

मुझे लज्जित होने न दीजिए,

और न मेरे शत्रु मेरा पीछा करने पाएं.

कोई भी, जिसने आप पर अपनी आशा रखी है

लज्जित कदापि नहीं किया जा सकता,

लज्जित वे किए जाएंगे,

जो विश्वासघात करते हैं.

याहवेह, मुझे अपने मार्ग दिखा,

मुझे अपने मार्गों की शिक्षा दीजिए.

अपने सत्य की ओर मेरी अगुवाई कीजिए और मुझे शिक्षा दीजिए,

क्योंकि आप मेरे छुड़ानेवाले परमेश्वर हैं,

दिन भर मैं आपकी ही प्रतीक्षा करता रहता हूं.

याहवेह, अपनी असीम दया तथा अपने करुणा-प्रेम25:6 करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं का स्मरण कीजिए,

जो अनंत काल से होते आए हैं.

युवावस्था में किए गए मेरे अपराधों का

तथा मेरे हठीले आचरण का लेखा न रखिए;

परंतु, याहवेह, अपनी करुणा में मेरा स्मरण रखिए,

क्योंकि याहवेह, आप भले हैं!

Read More of स्तोत्र 25