स्तोत्र 24:1-10 HCV

स्तोत्र 24:1-10

स्तोत्र 24

दावीद की रचना. एक स्तोत्र.

पृथ्वी और पृथ्वी में जो कुछ भी है, सभी कुछ याहवेह का ही है.

संसार और वे सभी, जो इसमें निवास करते हैं, उन्हीं के हैं;

क्योंकि उन्हीं ने महासागर पर इसकी नींव रखी

तथा जलप्रवाहों पर इसे स्थिर किया.

कौन चढ़ सकेगा याहवेह के पर्वत पर?

कौन खड़ा रह सकेगा उनके पवित्र स्थान में?

वही, जिसके हाथ निर्मल और हृदय शुद्ध है,

जो मूर्तियों पर भरोसा नही रखता,

जो झूठी शपथ नहीं करता.

उस पर याहवेह की आशीष स्थायी रहेगी.

परमेश्वर, उसका छुड़ाने वाला, उसे धर्मी घोषित करेंगे.

यही है वह पीढ़ी, जो याहवेह की कृपादृष्टि खोजने वाली,

जो आपके दर्शन की अभिलाषी है, हे याकोब के परमेश्वर!

प्रवेश द्वारो, ऊंचे करो अपने मस्तक;

प्राचीन किवाड़ो, ऊंचे हो जाओ,

कि महातेजस्वी महाराज प्रवेश कर सकें.

यह महातेजस्वी राजा हैं कौन?

याहवेह, तेजी और समर्थ,

याहवेह, युद्ध में पराक्रमी.

प्रवेश द्वारों, ऊंचा करो अपने मस्तक;

प्राचीन किवाड़ों, ऊंचे हो जाओ,

कि महातेजस्वी महाराज प्रवेश कर सकें.

यह महातेजस्वी राजा कौन है?

सर्वशक्तिमान याहवेह!

वही हैं महातेजस्वी महाराजा.

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