स्तोत्र 18:43-50 HCV

स्तोत्र 18:43-50

आपने मुझे मेरे सजातियों के द्वारा उठाए कलह से छुटकारा दिया है;

आपने मुझे सारे राष्ट्रों पर सबसे ऊपर बनाए रखा;

अब वे लोग मेरी सेवा कर रहे हैं, जिनसे मैं पूरी तरह अपरिचित हूं.

विदेशी मेरी उपस्थिति में दास की तरह व्यवहार करते आए;

जैसे ही उन्हें मेरे विषय में मालूम हुआ, वे मेरे प्रति आज्ञाकारी हो गए.

विदेशियों का मनोबल जाता रहा;

वे कांपते हुए अपने गढ़ों से बाहर आ गए.

जीवित हैं याहवेह! धन्य हैं मेरी चट्टान!

मेरे छुटकारे की चट्टान, मेरे परमेश्वर प्रतिष्ठित हों!

परमेश्वर, जिन्होंने मुझे प्रतिफल दिया मेरा बदला लिया,

और जनताओं को मेरे अधीन कर दिया.

जो मुझे मेरे शत्रुओं से मुक्त करते हैं,

आप ही ने मुझे मेरे शत्रुओं के ऊपर ऊंचा किया है;

आप ही ने हिंसक पुरुषों से मेरी रक्षा की है.

इसलिये, याहवेह, मैं राष्ट्रों के सामने आपकी स्तुति करूंगा;

आपके नाम का गुणगान करूंगा.

“अपने राजा के लिए वही हैं छुटकारे का खंभा;

अपने अभिषिक्त पर दावीद और उनके वंशजों पर,

वह हमेशा अपार प्रेम प्रकट करते रहते हैं.”

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