स्तोत्र 18:25-36 HCV

स्तोत्र 18:25-36

सच्चे लोगों के प्रति आप स्वयं विश्वासयोग्य साबित होते हैं,

निर्दोष व्यक्ति पर आप स्वयं को निर्दोष ही प्रकट करते हैं.

वह, जो निर्मल है, उस पर अपनी निर्मलता प्रकट करते हैं,

कुटिल व्यक्ति पर आप अपनी चतुरता प्रगट करते हैं.

आप विनम्र को सुरक्षा प्रदान करते हैं,

किंतु आप नीचा उनको कर देते हैं, जिनकी आंखें अहंकार से चढ़ी होती हैं.

याहवेह, आप मेरे दीपक को जलाते रहिये,

मेरे परमेश्वर, आप मेरे अंधकार को ज्योतिर्मय कर देते हैं.

जब आप मेरी ओर हैं, तो मैं सेना से टक्कर ले सकता हूं;

मेरे परमेश्वर के कारण मैं दीवार तक फांद सकता हूं.

यह वह परमेश्वर हैं, जिनकी नीतियां खरी हैं:

ताया हुआ है याहवेह का वचन;

अपने सभी शरणागतों के लिए वह ढाल बन जाते हैं.

क्योंकि याहवेह के अलावा कोई परमेश्वर है?

और हमारे परमेश्वर के अलावा कोई चट्टान है?

वही परमेश्वर मेरे मजबूत आसरा हैं;

वह निर्दोष व्यक्ति को अपने मार्ग पर चलाते हैं.

उन्हीं ने मेरे पांवों को हिरण के पांवों के समान बना दिया है;

ऊंचे स्थानों पर वह मुझे सुरक्षा देते हैं.

वह मेरे हाथों को युद्ध के लिए

प्रशिक्षित करते हैं;

अब मेरी बांहें कांसे के धनुष को भी इस्तेमाल कर लेती हैं.

आपने मुझे उद्धार की ढाल प्रदान की है,

आपका दायां हाथ मुझे थामे हुए है;

आपकी सौम्यता ने मुझे महिमा प्रदान की है.

मेरे पांवों के लिए आपने चौड़ा रास्ता दिया है,

इसमें मेरे पगों के लिए कोई फिसलन नहीं है.

Read More of स्तोत्र 18