स्तोत्र 17:1-5
स्तोत्र 17
दावीद की एक प्रार्थना
याहवेह, मेरा न्याय संगत, अनुरोध सुनिए;
मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.
मेरी प्रार्थना को सुन लीजिए,
जो कपटी होंठों से निकले शब्द नहीं हैं.
आपके द्वारा मेरा न्याय किया जाए;
आपकी दृष्टि में वही आए जो धर्ममय है.
आप मेरे हृदय को परख चुके हैं,
रात्रि में आपने मेरा ध्यान रखा है,
आपने मुझे परखकर निर्दोष पाया है;
मैंने यह निश्चय किया है कि मेरे मुख से कोई अपराध न होगा.
मनुष्यों के आचरण के संदर्भ में,
ठीक आपके ही आदेश के अनुरूप
मैं हिंसक मनुष्यों के मार्गों से दूर ही दूर रहा हूं.
मेरे पांव आपके मार्गों पर दृढ़ रहें;
और मेरे पांव लड़खड़ाए नहीं.