स्तोत्र 145:1-7
स्तोत्र 145
एक स्तवन गीत. दावीद की रचना.
परमेश्वर, मेरे महाराजा, मैं आपका स्तवन करता हूं;
मैं सदा-सर्वदा आपके नाम का गुणगान करूंगा.
प्रतिदिन मैं आपकी वंदना करूंगा,
मैं सदा-सर्वदा आपके नाम का गुणगान करूंगा.
सर्वोच्च हैं याहवेह, स्तुति के सर्वाधिक योग्य;
अगम है उनकी सर्वोच्चता.
आपके कार्य एक पीढ़ी से दूसरी को बताए जाएंगे;
वे आपके महाकार्य की उद्घोषणा करेंगे.
आपकी प्रभुसत्ता के भव्य प्रताप पर
तथा आपके अद्भुत कार्यों पर मैं मनन करता रहूंगा.
मनुष्य आपके अद्भुत कार्यों की सामर्थ्य की घोषणा करेंगे,
मैं आपके महान कार्यों की उद्घोषणा करूंगा.
लोग आपकी बड़ी भलाई की कीर्ति का वर्णन करेंगे
तथा उच्च स्वर में आपकी धार्मिकता का गुणगान करेंगे.