स्तोत्र 133:1-3 HCV

स्तोत्र 133:1-3

स्तोत्र 133

आराधना के लिए यात्रियों का गीत. दावीद की रचना.

कैसी आदर्श और मनोरम है

वह स्थिति जब भाइयों में परस्पर एकता होती है!

यह वैसी ही मनोरम स्थिति है, जब सुगंध द्रव्य पुरोहित के सिर पर उंडेला जाता है,

और बहता हुआ दाढ़ी तक पहुंच जाता है,

हां, अहरोन की दाढ़ी पर बहता हुआ,

उसके वस्त्र की छोर तक जा पहुंचता है.

हरमोन पर्वत की ओस के समान,

जो ज़ियोन पर्वत पर पड़ती है.

क्योंकि वही है वह स्थान,

जहां याहवेह सर्वदा जीवन की आशीष प्रदान करते हैं.

Read More of स्तोत्र 133