स्तोत्र 119:97-104 HCV

स्तोत्र 119:97-104

आह, कितनी अधिक प्रिय है मुझे आपकी व्यवस्था!

इतना, कि मैं दिन भर इसी पर विचार करता रहता हूं.

आपके आदेशों ने तो मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बना दिया है

क्योंकि ये कभी मुझसे दूर नहीं होते.

मुझमें तो अपने सभी शिक्षकों से अधिक समझ है,

क्योंकि आपके उपदेश मेरे चिंतन का विषय हैं.

आपके उपदेशों का पालन करने का ही परिणाम यह है,

कि मुझमें बुजुर्गों से अधिक समझ है.

आपकी आज्ञा का पालन करने के लक्ष्य से,

मैंने अपने कदम हर एक अधर्म के पथ पर चलने से बचा रखे हैं.

आप ही के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण,

मैं आपके नियम तोड़ने से बच सका हूं.

कैसा मधुर है आपकी प्रतिज्ञाओं का आस्वादन करना,

आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे मुख में मधु से भी अधिक मीठी हैं!

हर एक झूठा मार्ग मेरी दृष्टि में घृणास्पद है;

क्योंकि आपके उपदेशों से मुझे समझदारी प्राप्‍त होती है.

נ नून

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