स्तोत्र 119:25-32 HCV

स्तोत्र 119:25-32

मेरा प्राण नीचे धूलि में जा पड़ा है;

अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.

जब मैंने आपके सामने अपने आचरण का वर्णन किया, आपने मुझे उत्तर दिया;

याहवेह, अब मुझे अपनी विधियां सिखा दीजिए.

मुझे अपने उपदेशों की प्रणाली की समझ प्रदान कीजिए,

कि मैं आपके अद्भुत कार्यों पर मनन कर सकूं.

शोक अतिरेक में मेरा प्राण डूबा जा रहा है;

अपने वचन से मुझमें बल दीजिए.

झूठे मार्ग से मुझे दूर रखिए;

और अपनी कृपा में मुझे अपनी व्यवस्था की शिक्षा दीजिए.

मैंने सच्चाई के मार्ग को अपनाया है;

मैंने आपके नियमों को अपना आदर्श बनाया है.

याहवेह, मैंने आपके नियमों को दृढतापूर्वक थाम रखा है;

मुझे लज्जित न होने दीजिए.

आपने मेरे हृदय में साहस का संचार किया है,

तब मैं अब आपके आदेशों के पथ पर दौड़ रहा हूं.

ה हे

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