स्तोत्र 118:1-16
स्तोत्र 118
याहवेह का धन्यवाद करो,
क्योंकि वे भले हैं, सनातन है उनकी करुणा.
इस्राएल यह नारा लगाए:
“सनातन है उनकी करुणा.”
अहरोन के परिवार का यह नारा हो:
“सनातन है उनकी करुणा”
याहवेह के समस्त श्रद्धालुओं का यह नारा हो:
“सनातन है उनकी करुणा.”
अपने संकट की स्थिति में मैंने याहवेह को पुकारा;
और प्रत्युत्तर में वे मुझे एक विशाल स्थान पर ले आये118:5 अर्थात् मुझे उद्धार किया..
मुझे कोई भय न होगा, क्योंकि याहवेह मेरे साथ हैं.
मनुष्य मेरा क्या बिगाड़ सकता है?
मेरे साथ याहवेह हैं; वह मेरे सहायक हैं.
मैं स्वयं अपने शत्रुओं का पराजय देखूंगा.
मनुष्य पर भरोसा करने की अपेक्षा
याहवेह का आश्रय लेना उत्तम है.
न्यायियों पर भरोसा करने की अपेक्षा से
याहवेह का आश्रय लेना उत्तम है.
सब राष्ट्रों ने मुझे घेर लिया था,
किंतु याहवेह के नाम में मैंने उन्हें नाश कर दिया.
मैं चारों ओर से घिर चुका था,
किंतु याहवेह के नाम में मैंने उन्हें नाश कर दिया.
उन्होंने मुझे उसी प्रकार घेर लिया था, जिस प्रकार मधुमक्खियां किसी को घेर लेती हैं,
किंतु मेरे सब शत्रु वैसे ही शीघ्र नाश हो गए जैसे अग्नि में जलती कंटीली झाड़ी;
याहवेह के नाम में मैंने उन्हें नाश कर दिया.
इस सीमा तक मेरा पीछा किया गया, कि मैं टूटने पर ही था,
किंतु याहवेह ने आकर मेरी सहायता की.
मेरा बल और मेरा गीत याहवेह हैं;
वे मेरा उद्धार बन गए हैं.
धर्मियों के मंडप से
ये उल्लासपूर्ण जयघोष प्रतिध्वनित हो रही हैं:
“याहवेह के दायें हाथ ने महाकार्य किए हैं!
याहवेह का दायां हाथ ऊंचा उठा हुआ है;
याहवेह के दायें हाथ ने महाकार्य किए हैं!”