स्तोत्र 116:1-11 HCV

स्तोत्र 116:1-11

स्तोत्र 116

मुझे याहवेह से प्रेम है, क्योंकि उन्होंने मेरी पुकार सुन ली;

उन्होंने मेरी प्रार्थना सुन ली.

इसलिये कि उन्होंने मेरी पुकार सुन ली,

मैं आजीवन उन्हें ही पुकारता रहूंगा.

मृत्यु के डोर मुझे कसे जा रहे थे,

अधोलोक की वेदना से मैं भयभीत हो चुका था;

भय और संकट में मैं पूर्णतः डूब चुका था.

इस स्थिति में मैंने याहवेह के नाम को पुकारा:

“याहवेह, मेरा अनुरोध है, मुझे बचाइए!”

याहवेह उदार एवं धर्ममय हैं;

हां, हमारे परमेश्वर करुणानिधान हैं.

याहवेह भोले लोगों की रक्षा करते हैं;

मेरी विषम परिस्थिति में उन्होंने मेरा उद्धार किया.

ओ मेरे प्राण, लौट आ अपने विश्राम स्थान पर,

क्योंकि याहवेह ने तुझ पर उपकार किया है.

याहवेह, आपने मेरे प्राण को मृत्यु से मुक्त किया है,

मेरे आंखों को अश्रुओं से,

तथा मेरे पांवों को लड़खड़ाने से सुरक्षित रखा है,

कि मैं जीवितों के लोक में

याहवेह के साथ चल फिर सकूं.

उस स्थिति में भी, जब मैं यह कह रहा था,

“असह्य है मेरी पीड़ा” विश्वास मुझमें बना था;

अपनी खलबली में मैंने यह कह दिया था,

“सभी मनुष्य झूठ बोलनेवाले हैं.”

Read More of स्तोत्र 116