स्तोत्र 107:1-9
पांचवीं पुस्तक
स्तोत्र 107–150
स्तोत्र 107
याहवेह का धन्यवाद करो, वे भले हैं;
उनकी करुणा सदा की है.
यह नारा उन सबका हो, जो याहवेह द्वारा उद्धारित हैं,
जिन्हें उन्होंने विरोधियों से मुक्त किया है,
जिन्हें उन्होंने पूर्व और पश्चिम से, उत्तर और दक्षिण से,
विभिन्न देशों से एकत्र कर एकजुट किया है.
कुछ निर्जन वन में भटक रहे थे,
जिन्हें नगर की ओर जाता हुआ कोई मार्ग न मिल सका.
वे भूखे और प्यासे थे,
वे दुर्बल होते जा रहे थे.
अपनी विपत्ति की स्थिति में उन्होंने याहवेह को पुकारा,
याहवेह ने उन्हें उनकी दुर्दशा से छुड़ा लिया.
उन्होंने उन्हें सीधे-समतल पथ से ऐसे नगर में पहुंचा दिया
जहां वे जाकर बस सकते थे.
उपयुक्त है कि वे याहवेह के प्रति उनके करुणा-प्रेम के लिए
तथा उनके द्वारा मनुष्यों के लिए किए गए अद्भुत कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त करें,
क्योंकि वह प्यासी आत्मा के प्यास को संतुष्ट करते
तथा भूखे को उत्तम आहार से तृप्त करते हैं.