स्तोत्र 106:16-31
मंडप निवासकाल में वे मोशेह
और अहरोन से, जो याहवेह के अभिषिक्त थे, डाह करने लगे.
तब भूमि फट गई और दाथान को निगल गई;
अबीराम के दल को उसने गाड़ दिया.
उनके अनुयायियों पर अग्निपात हुआ;
आग ने कुकर्मियों को भस्म कर दिया.
होरेब पर्वत पर उन्होंने बछड़े की प्रतिमा ढाली
और इस धातु प्रतिमा की आराधना की.
उन्होंने परमेश्वर की महिमा का विनिमय
उस बैल की प्रतिमा से कर लिया, जो घास चरता है.
वे उस परमेश्वर को भूल गए, जिन्होंने उनकी रक्षा की थी,
जिन्होंने मिस्र देश में असाधारण कार्य किए थे,
हाम के क्षेत्र में आश्चर्य कार्य
तथा लाल सागर के तट पर भयंकर कार्य किए थे.
तब परमेश्वर ने निश्चय किया कि वह उन्हें नष्ट कर देंगे.
वह उन्हें नष्ट कर चुके होते, यदि परमेश्वर के चुने मोशेह उनके
और परमेश्वर के सत्यानाश प्रकोप के मध्य आकर,
जलजलाहट को ठंडा न करते.
इसके बाद इस्राएलियों ने उस सुखदायी भूमि को निकम्मी समझा;
उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास नहीं किया.
अपने-अपने तंबुओं में वे कुड़कुड़ाते रहे,
उन्होंने याहवेह की आज्ञाएं नहीं मानीं.
तब याहवेह ने शपथ खाई,
कि वह उन्हें बंजर भूमि में ही मिटा देंगे,
कि वह उनके वंशजों को अन्य जनताओं के मध्य नष्ट कर देंगे
और उन्हें समस्त पृथ्वी पर बिखरा देंगे.
उन्होंने पओर के देवता बाल की पूजा-अर्चना की.
उन्होंने उस बलि में से खाया, जो निर्जीव देवताओं को अर्पित की गई थी.
अपने अधर्म के द्वारा उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया,
परिणामस्वरूप उनके मध्य महामारी फैल गई.
तब फिनिहास ने सामने आकर मध्यस्थ का कार्य किया,
और महामारी थम गई.
उनकी इस भूमिका को पीढ़ी से पीढ़ी के लिए
युक्त घोषित किया गया.