स्तोत्र 105:37-45
परमेश्वर ने स्वर्ण और चांदी के बड़े धन के साथ इस्राएल को मिस्र देश से बचाया,
उसके समस्त गोत्रों में से कोई भी कुल नहीं लड़खड़ाया.
मिस्र निवासी प्रसन्न ही थे, जब इस्राएली देश छोड़कर जा रहे थे,
क्योंकि उन पर इस्राएल का आतंक छा गया था.
उन पर आच्छादन के निमित्त परमेश्वर ने एक मेघ निर्धारित कर दिया था,
और रात्रि में प्रकाश के लिए अग्नि भी.
उन्होंने प्रार्थना की और परमेश्वर ने उनके निमित्त आहार के लिए बटेरें भेज दीं;
और उन्हें स्वर्गिक आहार से भी तृप्त किया.
उन्होंने चट्टान को ऐसे खोल दिया, कि उसमें से उनके निमित्त जल बहने लगा;
यह जल वन में नदी जैसे बहने लगा.
क्योंकि उन्हें अपने सेवक अब्राहाम से
की गई अपनी पवित्र प्रतिज्ञा स्मरण की.
आनंद के साथ उनकी प्रजा वहां से बाहर लाई गई,
उनके चुने हर्षनाद कर रहे थे;
परमेश्वर ने उनके लिए अनेक राष्ट्रों की भूमि दे दी,
वे उस संपत्ति के अधिकारी हो गए जिसके लिए किसी अन्य ने परिश्रम किया था.
कि वे परमेश्वर के अधिनियमों का पालन कर सकें
और उनके नियमों को पूरा कर सकें.
याहवेह का स्तवन हो.