स्तोत्र 105:23-36 HCV

स्तोत्र 105:23-36

तब इस्राएल ने मिस्र में पदार्पण किया;

तब हाम की धरती पर याकोब एक प्रवासी होकर रहने लगे.

याहवेह ने अपने चुने हुओं को अत्यंत समृद्ध कर दिया;

यहां तक कि उन्हें उनके शत्रुओं से अधिक प्रबल बना दिया,

जिनके हृदय में स्वयं परमेश्वर ने अपनी प्रजा के प्रति घृणा उत्पन्‍न कर दी,

वे परमेश्वर के सेवकों के विरुद्ध बुरी युक्ति रचने लगे.

तब परमेश्वर ने अपने चुने हुए सेवक मोशेह को उनके पास भेजा,

और अहरोन को भी.

उन्होंने परमेश्वर की ओर से उनके सामने आश्चर्य कार्य प्रदर्शित किए,

हाम की धरती पर उन्होंने अद्भुत कार्य प्रदर्शित किए.

उनके आदेश ने सारे देश को अंधकारमय कर दिया;

क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के आदेशों की अवहेलना की.

परमेश्वर ही के आदेश से देश का समस्त जल रक्त में बदल गया,

परिणामस्वरूप समस्त मछलियां मर गईं.

उनके समस्त देश में असंख्य मेंढक उत्पन्‍न हो गए,

यहां तक कि उनके न्यायियों के शयनकक्ष में भी पहुंच गए.

परमेश्वर ने आदेश दिया और मक्खियों के समूह देश पर छा गए,

इसके साथ ही समस्त देश में मच्छर भी समा गए.

उनके आदेश से वर्षा ने ओलों का रूप ले लिया,

समस्त देश में आग्नेय विद्युज्ज्वाला बरसने लगी.

तब परमेश्वर ने उनकी द्राक्षालताओं तथा अंजीर के वृक्षों पर भी आक्रमण किया,

और तब उन्होंने उनके देश के वृक्षों का अंत कर दिया.

उनके आदेश से अरबेह टिड्डियों ने आक्रमण कर दिया,

ये यालेक टिड्डियां असंख्य थीं;

उन्होंने देश की समस्त वनस्पति को निगल लिया,

भूमि की समस्त उपज समाप्‍त हो गई.

तब परमेश्वर ने उनके देश के हर एक पहलौठे की हत्या की,

उन समस्त पहिलौठों का, जो उनके पौरुष का प्रमाण थे.

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