स्तोत्र 105:12-22 HCV

स्तोत्र 105:12-22

जब परमेश्वर की प्रजा की संख्या अल्प ही थी, जब उनकी संख्या बहुत ही कम थी,

और वे उस देश में परदेशी थे,

जब वे एक देश से दूसरे देश में भटकते फिर रहे थे,

वे एक राज्य में से होकर दूसरे में यात्रा कर रहे थे,

परमेश्वर ने किसी भी राष्ट्र को उन्हें दुःखित न करने दिया;

उनकी ओर से स्वयं परमेश्वर उन राजाओं को डांटते रहे:

“मेरे अभिषिक्तों का स्पर्श तक न करना;

मेरे भविष्यवक्ताओं को कोई हानि न पहुंचे!”

तब परमेश्वर ने उस देश में अकाल की स्थिति उत्पन्‍न कर दी.

उन्होंने ही समस्त आहार तृप्‍ति नष्ट कर दी;

तब परमेश्वर ने एक पुरुष, योसेफ़ को,

जिनको दास बनाकर उस देश में पहले भेज दिया.

उन्होंने योसेफ़ के पैरों में बेड़ियां डालकर उन पैरों को ज़ख्मी किया था,

उनकी गर्दन में भी बेड़ियां डाल दी गई थीं.

तब योसेफ़ की पूर्वोक्ति सत्य प्रमाणित हुई, उनके विषय में,

याहवेह के वक्तव्य ने उन्हें सत्य प्रमाणित कर दिया.

राजा ने उन्हें मुक्त करने के आदेश दिए,

प्रजा के शासक ने उन्हें मुक्त कर दिया.

उसने उन्हें अपने भवन का प्रधान

तथा संपूर्ण संपत्ति का प्रशासक बना दिया,

कि वह उनके प्रधानों को अपनी इच्छापूर्ति के निमित्त आदेश दे सकें

और उनके मंत्रियों को सुबुद्धि सिखा सकें.

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