स्तोत्र 101:1-8 HCV

स्तोत्र 101:1-8

स्तोत्र 101

दावीद की रचना. एक स्तोत्र.

मेरे गीत का विषय है आपका करुणा-प्रेम तथा आपका न्याय;

याहवेह, मैं आपका स्तवन करूंगा.

निष्कलंक जीवन मेरा लक्ष्य है,

आप कब मेरे पास आएंगे?

अपने आवास में मेरा आचरण

निष्कलंक रहेगा.

मैं किसी भी अनुचित वस्तु की

ओर दृष्टि न उठाऊंगा.

मुझे घृणा है भ्रष्टाचारी पुरुषों के आचार-व्यवहार से;

मैं उनसे कोई संबंध नहीं रखूंगा.

कुटिल हृदय मुझसे दूर रहेगा;

बुराई से मेरा कोई संबंध न होगा.

जो कोई गुप्‍त में अपने पड़ोसी की निंदा करता है,

मैं उसे नष्ट कर दूंगा;

जिस किसी की आंखें अहंकार से चढ़ी हुई हैं तथा जिसका हृदय घमंडी है,

वह मेरे लिए असह्य होगा.

पृथ्वी पर मेरी दृष्टि उन्हीं पर रहेगी जो विश्वासयोग्य हैं,

कि वे मेरे साथ निवास कर सकें;

मेरा सेवक वही होगा,

जिसका आचरण निष्कलंक है.

किसी भी झूठों का निवास

मेरे आवास में न होगा,

कोई भी झूठ बोलने वाला,

मेरी उपस्थिति में ठहर न सकेगा.

प्रति प्रभात मैं अपने राज्य के

समस्त दुर्जनों को नष्ट करूंगा;

याहवेह के नगर में से

मैं हर एक दुष्ट को मिटा दूंगा.

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