स्तोत्र 10:12-18 HCV

स्तोत्र 10:12-18

याहवेह, उठिए, अपना हाथ उठाइये, परमेश्वर!

इन दुष्टों को दंड दीजिए, दुःखितों को भुला न दीजिए.

दुष्ट परमेश्वर का तिरस्कार करते हुए

अपने मन में क्यों कहता रहता है,

“परमेश्वर इसका लेखा लेंगे ही नहीं”?

किंतु निःसंदेह आपने सब कुछ देखा है, आपने यातना और उत्पीड़न पर ध्यान दिया है;

आप स्थिति को अपने नियंत्रण में ले लें. दुःखी और

लाचार स्वयं को आपके हाथों में सौंप रहे हैं;

क्योंकि आप ही सहायक हैं अनाथों के.

कुटिल और दुष्ट का भुजबल तोड़ दीजिए;

उसकी दुष्टता का लेखा उस समय तक लेते रहिए

जब तक कुछ भी दुष्टता शेष न रह जाए.

सदा-सर्वदा के लिए याहवेह महाराजाधिराज हैं;

उनके राज्य में से अन्य जनता मिट गए हैं.

याहवेह, आपने विनीत की अभिलाषा पर दृष्टि की है;

आप उनके हृदय को आश्वासन प्रदान करेंगे,

अनाथ तथा दुःखित की रक्षा के लिए,

आपका ध्यान उनकी वाणी पर लगा रहेगा

कि मिट्टी से बना मानव अब से पुनः आतंक प्रसारित न करे.

Read More of स्तोत्र 10