सूक्ति संग्रह 6:30-35
लोगों की दृष्टि में वह व्यक्ति घृणास्पद नहीं होता
जिसने अतिशय भूख मिटाने के लिए भोजन चुराया है,
हां, यदि वह चोरी करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे उसका सात गुणा लौटाना पड़ता है,
इस स्थिति में उसे अपना सब कुछ देना पड़ सकता है.
वह, जो व्यभिचार में लिप्त हो जाता है, निरा मूर्ख है;
वह, जो यह सब कर रहा है, स्वयं का विनाश कर रहा है.
घाव और अपमान उसके अंश होंगे,
उसकी नामधराई मिटाई न जा सकेगी.
ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति को क्रोध में भड़काती है,
प्रतिशोध की स्थिति में उसकी सुरक्षा संभव नहीं.
उसे कोई भी क्षतिपूर्ति स्वीकार्य नहीं होती;
कितने भी उपहार उसे लुभा न सकेंगे.