सूक्ति संग्रह 6:1-11 HCV

सूक्ति संग्रह 6:1-11

व्यवहारिक चेतावनियां

मेरे पुत्र, यदि तुम अपने पड़ोसी के लिए ज़मानत दे बैठे हो,

किसी अपरिचित के लिए वचनबद्ध हुए हो,

यदि तुम वचन देकर फंस गए हो,

तुम्हारे ही शब्दों ने तुम्हें विकट परिस्थिति में ला रखा है,

तब मेरे पुत्र, ऐसा करना कि तुम स्वयं को बचा सको,

क्योंकि इस समय तो तुम अपने पड़ोसी के हाथ में आ चुके हो:

तब अब अपने पड़ोसी के पास चले जाओ,

और उसको नम्रता से मना लो!

यह समय निश्चिंत बैठने का नहीं है,

नींद में समय नष्ट न करना.

इस समय तुम्हें अपनी रक्षा उसी हिरणी के समान करना है, जो शिकारी से बचने के लिए अपने प्राण लेकर भाग रही है,

जैसे पक्षी जाल डालनेवाले से बचकर उड़ जाता है.

ओ आलसी, जाकर चींटी का ध्यान कर;

उनके कार्य पर विचार कर और ज्ञानी बन जा!

बिना किसी प्रमुख,

अधिकारी अथवा प्रशासक के,

वह ग्रीष्मकाल में ही अपना आहार जमा कर लेती है

क्योंकि वह कटनी के अवसर पर अपना भोजन एकत्र करती रहती है.

ओ आलसी, तू कब तक ऐसे लेटा रहेगा?

कब टूटेगी तेरी नींद?

थोड़ी और नींद, थोड़ा और विश्राम,

कुछ देर और हाथ पर हाथ रखे हुए विश्राम,

तब देखना निर्धनता कैसे तुझ पर डाकू के समान टूट पड़ती है

और गरीबी, सशस्त्र पुरुष के समान.

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