सूक्ति संग्रह 3:21-35 HCV

सूक्ति संग्रह 3:21-35

मेरे पुत्र इन्हें कभी ओझल न होने देना,

विशुद्ध बुद्धि और निर्णय-बुद्धि;

ये तुम्हारे प्राणों के लिए संजीवनी सिद्ध होंगे

और तुम्हारे कण्ठ के लिए हार.

तब तुम सुरक्षा में अपने मार्ग में आगे बढ़ते जाओगे,

और तुम्हारे पांवों में कभी ठोकर न लगेगी.

जब तुम बिछौने पर जाओगे तो निर्भय रहोगे;

नींद तुम्हें आएगी और वह नींद सुखद नींद होगी.

मेरे पुत्र, अचानक आनेवाले आतंक अथवा दुर्जनों पर

टूट पड़ी विपत्ति को देख भयभीत न हो जाना,

क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा याहवेह में होगी,

वही तुम्हारे पैर को फंदे में फंसने से बचा लेंगे.

यदि तुममें भला करने की शक्ति है और किसी को इसकी आवश्यकता है,

तो भला करने में आनाकानी न करना.

यदि तुम्हारे पास कुछ है, जिसकी तुम्हारे पड़ोसी को आवश्यकता है,

तो उससे यह न कहना, “अभी जाओ, फिर आना;

कल यह मैं तुम्हें दे दूंगा.”

अपने पड़ोसी के विरुद्ध बुरी युक्ति की योजना न बांधना,

तुम पर विश्वास करते हुए उसने तुम्हारे पड़ोस में रहना उपयुक्त समझा है.

यदि किसी ने तुम्हारा कोई नुकसान नहीं किया है,

तो उसके साथ अकारण झगड़ा प्रारंभ न करना.

न तो हिंसक व्यक्ति से ईर्ष्या करो

और न उसकी जीवनशैली को अपनाओ.

कुटिल व्यक्ति याहवेह के लिए घृणास्पद है

किंतु धर्मी उनके विश्वासपात्र हैं.

दुष्ट का परिवार याहवेह द्वारा शापित होता है,

किंतु धर्मी के घर पर उनकी कृपादृष्टि बनी रहती है.

वह स्वयं ठट्ठा करनेवालों का उपहास करते हैं

किंतु दीन जन उनके अनुग्रह के पात्र होते हैं.

ज्ञानमान लोग सम्मान पाएंगे,

किंतु मूर्ख लज्जित होते जाएंगे.

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