सूक्ति संग्रह 29:10-18
खून के प्यासे हिंसक व्यक्ति खराई से घृणा करते हैं,
वे धर्मी के प्राणों के प्यासे हो जाते हैं.
क्रोध में मूर्ख व्यक्ति अनियंत्रित हो जाता है,
किंतु बुद्धिमान संयमपूर्वक शांत बना रहता है.
यदि शासक असत्य को सुनने लगता है,
उसके सभी मंत्री कुटिल बन जाते हैं.
अत्याचारी और निर्धन व्यक्ति में एक साम्य अवश्य है:
दोनों ही को याहवेह ने दृष्टि प्रदान की है.
यदि राजा पूर्ण खराई में निर्धन का न्याय करता है,
उसका सिंहासन स्थायी रहता है.
ज्ञानोदय के साधन हैं डांट और छड़ी,
किंतु जिस बालक पर ये प्रयुक्त न हुए हों, वह माता की लज्जा का कारण हो जाता है.
दुष्टों की संख्या में वृद्धि अपराध दर में वृद्धि करती है,
किंतु धर्मी उनके पतन के दर्शक होते हैं.
अपने पुत्र को अनुशासन में रखो कि तुम्हारा भविष्य सुखद हो;
वही तुम्हारे हृदय को आनंदित रखेगा.
भविष्य के दर्शन के अभाव में लोग प्रतिबन्ध तोड़ फेंकते हैं;
किंतु धन्य होता है वह, जो नियमों का पालन करता है.