सूक्ति संग्रह 28:7-17 HCV

सूक्ति संग्रह 28:7-17

नियमों का पालन करता है बुद्धिमान संतान,

किंतु पेटू का साथी अपने पिता को लज्जा लाता है.

जो कोई अपनी संपत्ति की वृद्धि अतिशय ब्याज लेकर करता है,

वह इसे उस व्यक्ति के लिए संचित कर रहा होता है, जो निर्धनों को उदारतापूर्वक देता रहता है.

जो व्यक्ति नियम-व्यवस्था का परित्याग करता है,

उसकी प्रार्थना भी परमेश्वर के लिए घृणित हो जाती है.

जो कोई किसी धर्मी को भटका कर विसंगत चालचलन के लिए उकसाता है

वह अपने ही जाल में फंस जाएगा,

किंतु खरे व्यक्ति का प्रतिफल सुखद होता है.

अपने ही विचार में धनाढ्य स्वयं को बुद्धिमान मानता है;

जो गरीब और समझदार है, वह देखता है कि धनवान कितना भ्रमित है.

धर्मी व्यक्ति की विजय पर अतिशय आनंद मनाया जाता है;

किंतु जब दुष्ट उन्‍नत होने लगते हैं, प्रजा छिप जाती है.

जो अपने अपराध को छिपाए रखता है, वह समृद्ध नहीं हो पाता,

किंतु वह, जो अपराध स्वीकार कर उनका परित्याग कर देता है, उस पर कृपा की जाएगी.

धन्य होता है वह व्यक्ति जिसके हृदय में याहवेह के प्रति श्रद्धा सर्वदा रहती है,

किंतु जो अपने हृदय को कठोर बनाए रखता है, विपदा में जा पड़ता है.

निर्धनों के प्रति दुष्ट शासक का व्यवहार वैसा ही होता है

जैसा दहाड़ते हुए सिंह अथवा आक्रामक रीछ का.

एक शासक जो समझदार नहीं, अपनी प्रजा को उत्पीड़ित करता है,

किंतु वह, जिसे अनुचित अप्रिय है, आयुष्मान होता है.

यदि किसी की अंतरात्मा पर मनुष्य हत्या का बोझ है

वह मृत्युपर्यंत छिपता और भागता रहेगा;

यह उपयुक्त नहीं कि कोई उसकी सहायता करे.

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