सूक्ति संग्रह 27:5-14 HCV

सूक्ति संग्रह 27:5-14

छिपे प्रेम से कहीं अधिक प्रभावशाली है

प्रत्यक्ष रूप से दी गई फटकार.

मित्र द्वारा किए गए घाव भी विश्वासयोग्य है,

किंतु विरोधी चुम्बनों की वर्षा करता है!

जब भूख अच्छी रीति से तृप्‍त की जा चुकी है, तब मधु भी अप्रिय लगने लगता है,

किंतु अत्यंत भूखे व्यक्ति के लिए कड़वा भोजन भी मीठा हो जाता है.

अपने घर से दूर चला गया व्यक्ति वैसा ही होता है

जैसे अपने घोंसले से भटक चुका पक्षी.

तेल और सुगंध द्रव्य हृदय को मनोहर कर देते हैं,

उसी प्रकार सुखद होता है

खरे मित्र का परामर्श.

अपने मित्र तथा अपने माता-पिता के मित्र की उपेक्षा न करना.

अपनी विपत्ति की स्थिति में अपने भाई के घर भेंट करने न जाना.

दूर देश में जा बसे तुम्हारे भाई से उत्तम है तुम्हारे निकट निवास कर रहा पड़ोसी.

मेरे पुत्र, कैसा मनोहर होगा मेरा हृदय, जब तुम स्वयं को बुद्धिमान प्रमाणित करोगे;

तब मैं अपने निंदकों को मुंह तोड़ प्रत्युत्तर दे सकूंगा.

चतुर व्यक्ति जोखिम को देखकर छिप जाता है,

किंतु अज्ञानी आगे ही बढ़ता जाता है, और यातना सहता है.

जो किसी अनजान के ऋण की ज़मानत देता है, वह अपने वस्त्र तक गंवा बैठता है;

जब कोई अनजान व्यक्तियों की ज़मानत लेने लगे, तब प्रतिभूति सुरक्षा में उसका वस्त्र भी रख ले.

यदि किसी व्यक्ति को प्रातःकाल में अपने पड़ोसी को उच्च स्वर में आशीर्वाद देता हुआ सुनो,

तो उसे शाप समझना.

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