सूक्ति संग्रह 27:15-22
विवादी पत्नी तथा वर्षा ऋतु में लगातार वृष्टि,
दोनों ही समान हैं,
उसे नियंत्रित करने का प्रयास पवन वेग को नियंत्रित करने का प्रयास जैसा,
अथवा अपने दायें हाथ से तेल को पकड़ने का प्रयास जैसा.
जिस प्रकार लोहे से ही लोहे पर धार बनाया जाता है,
वैसे ही एक व्यक्ति दूसरे के सुधार के लिए होते है.
अंजीर का फल वही खाता है, जो उस वृक्ष की देखभाल करता है,
वह, जो अपने स्वामी का ध्यान रखता है, सम्मानित किया जाएगा.
जिस प्रकार जल में मुखमंडल की छाया देख सकते हैं,
वैसे ही व्यक्ति का जीवन भी हृदय को प्रतिबिंबित करता है.
मृत्यु और विनाश अब तक संतुष्ट नहीं हुए हैं,
मनुष्य की आंखों की अभिलाषा भी कभी संतुष्ट नहीं होती.
चांदी की परख कुठाली से तथा स्वर्ण की भट्टी से होती है,
वैसे ही मनुष्य की परख उसकी प्रशंसा से की जाती है.
यदि तुम मूर्ख को ओखली में डालकर
मूसल से अनाज के समान भी कूटो,
तुम उससे उसकी मूर्खता को अलग न कर सकोगे.