सूक्ति संग्रह 26:23-28
कुटिल हृदय के व्यक्ति के चिकने-चुपड़े शब्द वैसे ही होते हैं,
जैसे मिट्टी के पात्र पर चढ़ाई गई चांदी का कीट.
घृणापूर्ण हृदय के व्यक्ति के मुख से मधुर वाक्य टपकते रहते हैं,
जबकि उसके हृदय में छिपा रहता है छल और कपट.
जब वह मनभावन विचार व्यक्त करने लगे, तो उसका विश्वास न करना,
क्योंकि उसके हृदय में सात घिनौनी बातें छिपी हुई हैं.
यद्यपि इस समय उसने अपने छल को छुपा रखा है,
उसकी कुटिलता का प्रकाशन भरी सभा में कर दिया जाएगा.
जो कोई गड्ढा खोदता है, उसी में जा गिरता है;
जो कोई पत्थर को लुढ़का देता है, उसी के नीचे आ जाता है.
झूठ बोलने वाली जीभ जिससे बातें करती है, वह उसके घृणा का पात्र होता है,
तथा विनाश का कारण होते हैं चापलूस के शब्द.
सूक्ति संग्रह 27:1-4
भावी कल तुम्हारे गर्व का विषय न हो,
क्योंकि तुम यह नहीं जानते कि दिन में क्या घटनेवाला है.
कोई अन्य तुम्हारी प्रशंसा करे तो करे, तुम स्वयं न करना;
कोई अन्य कोई अपरिचित तुम्हारी प्रशंसा करे तो करे, तुम स्वयं न करना, स्वयं अपने मुख से नहीं.
पत्थर भारी होता है और रेत का भी बोझ होता है,
किंतु इन दोनों की अपेक्षा अधिक भारी होता है मूर्ख का क्रोध.
कोप में क्रूरता निहित होती है तथा रोष में बाढ़ के समान उग्रता,
किंतु ईर्ष्या के समक्ष कौन ठहर सकता है?