सूक्ति संग्रह 26:13-22 HCV

सूक्ति संग्रह 26:13-22

आलसी कहता है, “मार्ग में सिंह है,

सिंह गलियों में छुपा हुआ है!”

आलसी अपने बिछौने पर वैसे ही करवटें बदलते रहता है,

जैसे चूल पर द्वार.

आलसी अपना हाथ भोजन की थाली में डाल तो देता है;

किंतु आलस्यवश वह अपना हाथ मुख तक नहीं ले जाता.

अपने विचार में आलसी उन सात व्यक्तियों से अधिक बुद्धिमान होता है,

जिनमें सुसंगत उत्तर देने की क्षमता होती है.

मार्ग में चलते हुए अपरिचितों के मध्य चल रहे विवाद में हस्तक्षेप करते हुए व्यक्ति की स्थिति वैसी ही होती है,

मानो उसने वन्य कुत्ते को उसके कानों से पकड़ लिया हो.

उस उन्मादी सा जो मशाल उछालता है या मनुष्य जो घातक तीर फेंकता है

वैसे ही वह भी होता है जो अपने पड़ोसी की छलता है

और कहता है, “मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था!”

लकड़ी समाप्‍त होते ही आग बुझ जाती है;

वैसे ही जहां कानाफूसी नहीं की जाती, वहां कलह भी नहीं होता.

जैसे प्रज्वलित अंगारों के लिए कोयला और अग्नि के लिए लकड़ी,

वैसे ही कलह उत्पन्‍न करने के लिए होता है विवादी प्रवृत्ति का व्यक्ति.

फुसफुसाहट में उच्चारे गए शब्द स्वादिष्ट भोजन-समान होते हैं;

ये शब्द मनुष्य के पेट में समा जाते हैं.

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