सूक्ति संग्रह 25:11-20
उचित अवसर पर कहा हुआ वचन चांदी के पात्र में
प्रस्तुत स्वर्ण के सेब के समान होता है.
तत्पर श्रोता के लिए ज्ञानवान व्यक्ति की चेतावनी वैसी ही होती है
जैसे स्वर्ण कर्णफूल अथवा स्वर्ण आभूषण.
कटनी के समय की उष्णता में ठंडे पानी के पेय के समान होता है,
प्रेषक के लिए वह दूत, जो विश्वासयोग्य है;
वह अपने स्वामी के हृदय को प्रफुल्लित कर देता है.
बारिश के बिना बादलों और हवा की तरह है जो व्यक्ति उपहार तो देता नहीं,
किंतु सबके समक्ष देने की डींग मारता रहता है.
धैर्य के द्वारा शासक को भी मनाया जा सकता है,
और कोमलता में कहे गए वचन से हड्डी को भी तोड़ा जा सकता है.
यदि तुम्हें कहीं मधु प्राप्त हो जाए, तो उतना ही खाना, जितना पर्याप्त है,
सीमा से अधिक खाओगे तो, तुम उसे उगल दोगे.
उत्तम तो यह होगा कि तुम्हारे पड़ोसी के घर में
तुम्हारे पैर कम ही पडे़ं, ऐसा न हो कि वह तुमसे ऊब जाए और तुमसे घृणा करने लगे.
वह व्यक्ति, जो अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठा साक्षी हो जाता है,
वह युद्ध के लिए प्रयुक्त लाठी, तलवार अथवा बाण के समान है.
विपदा के अवसर पर ऐसे व्यक्ति पर भरोसा रखना, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता,
वैसा ही होता है, जैसे सड़े दांत अथवा टूटे पैर पर भरोसा रखना.
दुःख में डूबे व्यक्ति के समक्ष हर्ष गीत गाने का वैसा ही प्रभाव होता है,
जैसा शीतकाल में किसी को विवस्त्र कर देना
अथवा किसी के घावों पर सिरका मल देना.