सूक्ति संग्रह 24:23-34
बुद्धिमानों की कुछ और सूक्तियां
ये भी बुद्धिमानों द्वारा बोली गई सूक्तियां हैं:
न्याय में पक्षपात करना उचित नहीं है:
जो कोई अपराधी से कहता है, “तुम निर्दोष हो,”
वह लोगों द्वारा शापित किया जाएगा तथा अन्य राष्ट्रों द्वारा घृणास्पद समझा जाएगा.
किंतु जो अपराधी को फटकारते हैं उल्लसित रहेंगे,
और उन पर सुखद आशीषों की वृष्टि होगी.
सुसंगत प्रत्युत्तर
होंठों पर किए गए चुम्बन-समान सुखद होता है.
पहले अपने बाह्य कार्य पूर्ण करके
खेत को तैयार कर लो
और तब अपना गृह-निर्माण करो.
बिना किसी संगत के कारण अपने पड़ोसी के विरुद्ध साक्षी न देना,
और न अपनी साक्षी के द्वारा उसे झूठा प्रमाणित करना.
यह कभी न कहना, “मैं उसके साथ वैसा ही करूंगा, जैसा उसने मेरे साथ किया है;
उसने मेरे साथ जो कुछ किया है, मैं उसका बदला अवश्य लूंगा.”
मैं उस आलसी व्यक्ति की वाटिका के पास से निकल रहा था,
वह मूर्ख व्यक्ति था, जिसकी वह द्राक्षावाटिका थी.
मैंने देखा कि समस्त वाटिका में,
कंटीली झाड़ियां बढ़ आई थीं,
सारी भूमि पर बिच्छू बूटी छा गई थी.
यह सब देख मैं विचार करने लगा,
जो कुछ मैंने देखा उससे मुझे यह शिक्षा प्राप्त हुई:
थोड़ी और नींद, थोड़ा और विश्राम,
कुछ देर और हाथ पर हाथ रखे हुए विश्राम,
तब देखना निर्धनता कैसे तुझ पर डाकू के समान टूट पड़ती है
और गरीबी, सशस्त्र पुरुष के समान.