सूक्ति संग्रह 22:17-27
तीस ज्ञान सूत्र
पहला सूत्र
अत्यंत ध्यानपूर्वक बुद्धिमानों का प्रवचन सुनो;
और मेरे ज्ञान की बातों को मन में बसा लो,
क्योंकि यह करना तुम्हारे लिए सुखदायी होगा,
यदि ये तुम्हारे मन में बसे हुए होंगे, यदि ये सभी तुम्हें मुखाग्र होंगे.
मैं यह सब तुम पर, विशेष रूप से
तुम पर इसलिये प्रकट कर रहा हूं, कि तुम्हारा भरोसा याहवेह पर अटल रहे;
विचार करो, क्या मैंने परामर्श
तथा ज्ञान के ये तीस नीति सूत्र इस उद्देश्य से नहीं लिखे कि
तुम्हें यह बोध रहे कि सुसंगत और सत्य क्या है,
और तुम अपने प्रेषकों को उपयुक्त उत्तर दे सको?
दूसरा सूत्र
किसी निर्धन को इसलिये लूटने न लगो, कि वह निर्धन है,
वैसे ही किसी पीड़ित को न्यायालय ले जाकर गुनहगार न बनाना,
क्योंकि याहवेह पीड़ित के पक्ष में खड़े होंगे,
और उनके प्राण का बदला लेंगे.
तीसरा सूत्र
किसी क्रोधी व्यक्ति को मित्र न बनाना,
और न किसी शीघ्र क्रोधी व्यक्ति के किसी कार्य में सहयोगी बनना.
कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उसी के समान बन जाओ
और स्वयं किसी फंदे में जा फंसो.
चौथा सूत्र
तुम उनके जैसे न बनना, जो किसी की ज़मानत लेते हैं,
जो किसी ऋणी के ऋण का दायित्व लेते हैं.
यदि तुम्हारे पास भुगतान करने के लिए कुछ नहीं है,
तो साहूकार तो तुमसे तुम्हारा बिछौना छीन लेगा.