सूक्ति संग्रह 21:27-31, सूक्ति संग्रह 22:1-6 HCV

सूक्ति संग्रह 21:27-31

याहवेह के लिए दुष्ट द्वारा अर्पित बलि घृणास्पद है और उससे भी कहीं अधिक उस स्थिति में,

जब यह बलि कुटिल अभिप्राय से अर्पित की जाती है.

झूठा साक्षी तो नष्ट होगा ही,

किंतु वह, जो सच्चा है, सदैव सुना जाएगा.

दुष्ट व्यक्ति अपने मुख पर निर्भयता का भाव ले आता है,

किंतु धर्मी अपने चालचलन के प्रति अत्यंत सावधान रहता है.

याहवेह के समक्ष न तो कोई ज्ञान,

न कोई समझ और न कोई परामर्श ठहर सकता है.

युद्ध के दिन के लिए घोड़े को सुसज्जित अवश्य किया जाता है,

किंतु जय याहवेह के ही अधिकार में रहती है.

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सूक्ति संग्रह 22:1-6

विशाल निधि से कहीं अधिक योग्य है अच्छा नाम;

तथा स्वर्ण और चांदी से श्रेष्ठ है आदर सम्मान!

सम्पन्‍न और निर्धन के विषय में एक समता है:

दोनों ही के सृजनहार याहवेह ही हैं.

चतुर व्यक्ति जोखिम को देखकर छिप जाता है,

किंतु अज्ञानी आगे ही बढ़ता जाता है और यातना सहता है.

विनम्रता तथा याहवेह के प्रति श्रद्धा का प्रतिफल होता है;

धन संपदा, सम्मान और जीवन.

कुटिल व्यक्ति के मार्ग पर बिछे रहते हैं कांटे और फंदे,

किंतु जो कोई अपने जीवन के प्रति सावधान रहता है, स्वयं को इन सबसे दूर ही दूर रखता है.

अपनी संतान को उसी जीवनशैली के लिए तैयार कर लो,

जो सुसंगत है, वृद्ध होने पर भी वह इससे भटकेगा नहीं.

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