सूक्ति संग्रह 20:25-30
जल्दबाजी में कुछ प्रभु के लिए कुछ समर्पित करना एक जाल जैसा है,
क्योंकि तत्पश्चात व्यक्ति मन्नत के बारे में विचार करने लगता है!
बुद्धिमान राजा दुष्टों को अलग करता जाता है;
और फिर उन पर दांवने का पहिया चला देता है.
मनुष्य की आत्मा याहवेह द्वारा प्रज्वलित वह दीप है,
जिसके प्रकाश में वह उसके मन की सब बातों का ध्यान कर लेते हैं.
स्वामीश्रद्धा तथा सच्चाई ही राजा को सुरक्षित रखती हैं;
तथा बिना पक्षपात का न्याय उसके सिंहासन की स्थिरता होती है.
युवाओं की शोभा उनके शौर्य में है,
और वरिष्ठ व्यक्ति की उसके सफेद बालों में.
बुराई को छोड़ने के लिए अनिवार्य है वह प्रहार,
जो घायल कर दे; कोड़ों की मार मन को स्वच्छ कर देती है.
सूक्ति संग्रह 21:1-4
याहवेह के हाथों में राजा का हृदय जलप्रवाह-समान है;
वही इसे ईच्छित दिशा में मोड़ देते हैं.
मनुष्य की दृष्टि में उसका हर एक कदम सही ही होता है,
किंतु याहवेह उसके हृदय को जांचते रहते हैं.
याहवेह के लिए सच्चाई तथा न्याय्यता
कहीं अधिक स्वीकार्य है.
घमंडी आंखें, दंभी हृदय
तथा दुष्ट का दीप पाप हैं.