सूक्ति संग्रह 19:3-12 HCV

सूक्ति संग्रह 19:3-12

जब किसी व्यक्ति की मूर्खता के परिणामस्वरूप उसकी योजनाएं विफल हो जाती हैं,

तब उसके हृदय में याहवेह के प्रति क्रोध भड़क उठता है.

धन-संपत्ति अनेक नए मित्रों को आकर्षित करती है,

किंतु निर्धन व्यक्ति के मित्र उसे छोड़कर चले जाते हैं.

झूठे साक्षी का दंड सुनिश्चित है,

तथा दंडित वह भी होगा, जो झूठा है.

उदार व्यक्ति का समर्थन अनेक व्यक्ति चाहते हैं,

और उस व्यक्ति के मित्र सभी हो जाते हैं, जो उपहार देने में उदार है.

निर्धन व्यक्ति तो अपने संबंधियों के लिए भी घृणा का पात्र हो जाता है.

उसके मित्र उससे कितने दूर हो जाते हैं!

वह उन्हें मनाता रह जाता है,

किंतु इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

बुद्धि प्राप्‍त करना स्वयं से प्रेम करना है;

तथा ज्ञान को सुरक्षित रखना समृद्धि है.

झूठे साक्षी का दंड सुनिश्चित है तथा जो झूठा है,

वह नष्ट हो जाएगा.

सुख से रहना मूर्ख को शोभा नहीं देता,

ठीक जिस प्रकार दास का शासकों पर शासन करना.

सद्बुद्धि मनुष्य को क्रोध पर नियंत्रण रखने योग्य बनाती है;

और जब वह अपराध को भुला देता है, उसकी प्रतिष्ठा होती है.

राजा का क्रोध सिंह के गरजने के समान होता है,

किंतु उसकी कृपा घास पर पड़ी ओस समान.

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