सूक्ति संग्रह 19:23-29, सूक्ति संग्रह 20:1-4 HCV

सूक्ति संग्रह 19:23-29

याहवेह के प्रति श्रद्धा ही जीवन का मार्ग है;

तथा जिस किसी में यह भय है, उसका ठिकाना सुखी रहता है, अनिष्ट उसको स्पर्श नहीं करता.

एक आलसी ऐसा भी होता है, जो अपना हाथ भोजन की थाली में डाल तो देता है;

किंतु आलस्य में भोजन को मुख तक नहीं ले जाता.

ज्ञान के ठट्ठा करनेवाले पर प्रहार करो कि सरल-साधारण व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाये;

विवेकशील व्यक्ति को डांटा करो कि उसका ज्ञान बढ़ सके.

जो व्यक्ति अपने पिता के प्रति हिंसक हो जाता तथा अपनी माता को घर से बाहर निकाल देता है,

ऐसी संतान है, जो परिवार पर लज्जा और निंदा ले आती है.

मेरे पुत्र, यदि तुम शिक्षाओं को सुनना छोड़ दो,

तो तुम ज्ञान के वचनों से दूर चले जाओगे.

कुटिल साक्षी न्याय का उपहास करता है,

और दुष्ट का मुख अपराध का समर्थन करता है.

ठट्ठा करनेवालों के लिए दंड निर्धारित है,

और मूर्ख की पीठ के लिए कोड़े हैं.

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सूक्ति संग्रह 20:1-4

दाखमधु ठट्ठा करनेवाला, तथा दाखमधु हल्ला मचानेवाला हो जाता है;

और जो व्यक्ति इनके प्रभाव में है, वह निर्बुद्धि है.

राजा का भय सिंह की दहाड़-समान होता है;

जो कोई उसके कोप को उकसाता है, अंततः प्राणों से हाथ धो बैठता है.

आदरणीय है वह व्यक्ति, जो कलह और विवादों से दूर रहता है,

झगड़ालू, वस्तुतः मूर्ख ही होता है.

आलसी निर्धारित समय पर हल नहीं जोतता;

और कटनी के समय पर उपज काटने जाता है, तो वहां कुछ भी नहीं रहेगा.

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