सूक्ति संग्रह 18:17-24
यह संभव है कि न्यायालय में, जो व्यक्ति पहले होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करता है,
सच्चा ज्ञात हो; जब तक अन्य पक्ष आकर परीक्षण न करे.
पासा फेंककर विवाद हल करना संभव है,
इससे प्रबल विरोधियों के मध्य सर्वमान्य निर्णय लिया जा सकता है.
एक रुष्ट भाई को मनाना सुदृढ़-सुरक्षित नगर को ले लेने से अधिक कठिन कार्य है;
और विवाद राजमहल के बंद फाटक समान होते हैं.
मनुष्य की बातों का परिणाम होता है उसके पेट का भरना;
उसके होंठों के उत्पाद में उसका संतोष होता है.
जिह्वा की सामर्थ्य जीवन और मृत्यु तक व्याप्त है,
और जिन्हें यह बात ज्ञात है, उन्हें इसका प्रतिफल प्राप्त होगा.
जिस किसी को पत्नी प्राप्त हो गई है, उसने भलाई प्राप्त की है,
उसे याहवेह की ओर से ही यह आनंद प्राप्त हुआ है.
संसार में निर्धन व्यक्ति गिड़गिड़ाता रहता है,
और धनी उसे कठोरतापूर्व उत्तर देता है.
मनुष्य के मित्र मैत्री का लाभ उठाते रहते हैं,
किंतु सच्चा मित्र वह होता है, जो भाई से भी अधिक उत्तम होता है.
सूक्ति संग्रह 19:1-2
वह निर्धन व्यक्ति, जिसका चालचलन खराई है,
उस व्यक्ति से उत्तम है, जो कुटिल है और मूर्ख भी.
ज्ञान-रहित इच्छा निरर्थक होती है
तथा वह, जो किसी भी कार्य के लिए उतावली करता है, लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाता!