सूक्ति संग्रह 17:5-14
जो निर्धन को उपहास का पात्र बनाता है, वह उसके सृजनहार का उपहास करता है;
और जो दूसरों की विपत्ति को देख आनंदित होता है, निश्चयतः दंड प्राप्त करता है.
वयोवृद्धों का गौरव उनके नाती-पोतों में होता है,
तथा संतान का गौरव उनके माता-पिता में.
अशोभनीय होती है मूर्ख द्वारा की गई दीर्घ बात;
इससे कहीं अधिक अशोभनीय होती है प्रशासक द्वारा की गई झूठी बात.
वह, जो घूस देता है, उसकी दृष्टि में घूस जादू-समान प्रभाव डालता है;
इसके द्वारा वह अपना कार्य पूर्ण कर ही लेता है.
प्रेम का खोजी अन्य के अपराध पर आवरण डालता है,
किंतु वह, जो अप्रिय घटना का उल्लेख बार-बार करता है, परम मित्रों तक में फूट डाल देता है.
बुद्धिमान व्यक्ति पर एक डांट का जैसा गहरा प्रभाव पड़ता है,
मूर्ख पर वैसा प्रभाव सौ लाठी के प्रहारों से भी संभव नहीं है.
दुष्ट का लक्ष्य मात्र विद्रोह ही हुआ करता है;
इसके दमन के लिए क्रूर दूत भेजा जाना अनिवार्य हो जाता है.
किसी मूर्ख की मूर्खता में उलझने से उत्तम यह होगा,
कि उस रीछनी से सामना हो जाए, जिसके बच्चे छीन लिए गए हैं.
जो व्यक्ति किसी हितकार्य का प्रतिफल बुराई कार्य के द्वारा देता है,
उसके परिवार में बुराई का स्थायी वास हो जाता है.
कलह का प्रारंभ वैसा ही होता है, जैसा विशाल जल राशि का छोड़ा जाना;
तब उपयुक्त यही होता है कि कलह के प्रारंभ होते ही वहां से पलायन कर दिया जाए.