सूक्ति संग्रह 16:28-33, सूक्ति संग्रह 17:1-4 HCV

सूक्ति संग्रह 16:28-33

कुटिल मनोवृत्ति का व्यक्ति कलह फैलाता जाता है,

तथा परम मित्रों में फूट का कारण वह व्यक्ति होता है, जो कानाफूसी करता है.

हिंसक प्रवृत्ति का व्यक्ति अपने पड़ोसी को आकर्षित कर

उसे बुराई के लिए प्रेरित कर देता है.

वह, जो अपने नेत्रों से इशारे करता है, वह निश्चयतः कुटिल युक्ति गढ़ रहा होता है;

जो अपने ओंठ चबाता है, वह विसंगत युक्ति कर रहा होता है.

श्वेत केश शानदार मुकुट हैं;

ये धर्ममय मार्ग पर चलने से प्राप्‍त होते है.

एक योद्धा से बेहतर वह है, जो विलंब से क्रोध करता है;

जिसने एक नगर को अधीन कर लिया है, उससे भी उत्तम है जिसने अपनी अंतरात्मा पर नियंत्रण कर लिया है!

किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए मत अवश्य लिया जाता है,

किंतु हर एक निष्कर्ष याहवेह द्वारा ही निर्धारित किया जाता है.

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सूक्ति संग्रह 17:1-4

सुख-शांति के वातावरण में सूखी रोटी का भोजन

कलहपूर्ण उत्सव-भोज से कहीं अधिक उत्तम है.

चतुर, बुद्धिमान सेवक उस पुत्र पर शासन करेगा,

जिसका चालचलन लज्जास्पद है.

चांदी की परख कुठाली से तथा स्वर्ण की भट्टी से की जाती है,

किंतु हृदयों की परख याहवेह करते हैं.

दुष्ट अनर्थ में रुचि लेता रहता है;

झूठा व्यक्ति विनाशकारी जीभ पर ध्यान देता है.

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