सूक्ति संग्रह 15:31-33
वह व्यक्ति, जो जीवन-प्रदायी ताड़ना को स्वीकार करता है,
बुद्धिमान के साथ निवास करेगा.
वह जो अनुशासन का परित्याग करता है, स्वयं से छल करता है,
किंतु वह, जो प्रताड़ना स्वीकार करता है, समझ प्राप्त करता है.
वस्तुतः याहवेह के प्रति श्रद्धा ही ज्ञान उपलब्धि का साधन है,
तथा विनम्रता महिमा की पूर्ववर्ती है.
सूक्ति संग्रह 16:1-7
मनुष्य के मन में योजना अवश्य होती हैं,
किंतु कार्य का आदेश याहवेह के द्वारा ही किया जाता है.
मनुष्य की दृष्टि में उसका अपना समस्त चालचलन शुद्ध ही होता है,
किंतु याहवेह ही उसकी अंतरात्मा को परखते हैं.
अपना समस्त उपक्रम याहवेह पर डाल दो,
कि वह तुम्हारी योजनाओं को सफल कर सकें.
याहवेह ने हर एक वस्तु को एक विशेष उद्देश्य से सृजा—
यहां तक कि दुष्ट को घोर विपत्ति के दिन के लिए.
हर एक अहंकारी हृदय याहवेह के लिए घृणास्पद है;
स्मरण रहे: दंड से कोई भी नहीं बचेगा.
निस्वार्थ प्रेम तथा खराई द्वारा अपराधों का प्रायश्चित किया जाता है;
तथा याहवेह के प्रति श्रद्धा के द्वारा बुराई से मुड़ना संभव होता है.
जब किसी व्यक्ति का चालचलन याहवेह को भाता है,
वह उसके शत्रुओं तक को उसके प्रति मित्र बना देते हैं.