सूक्ति संग्रह 14:4-14 HCV

सूक्ति संग्रह 14:4-14

जहां बैल ही नहीं हैं, वहां गौशाला स्वच्छ रहती है,

किंतु बैलों की शक्ति से ही धन की भरपूरी निहित है.

विश्वासयोग्य साक्षी छल नहीं करता,

किंतु झूठे साक्षी के मुख से झूठ ही झूठ बाहर आता है.

छिछोरा व्यक्ति ज्ञान की खोज कर सकता है, किंतु उसे प्राप्‍त नहीं कर पाता,

हां, जिसमें समझ होती है, उसे ज्ञान की उपलब्धि सरलतापूर्वक हो जाती है.

मूर्ख की संगति से दूर ही रहना,

अन्यथा ज्ञान की बात तुम्हारी समझ से परे ही रहेगी.

विवेकी की बुद्धिमता इसी में होती है, कि वह उपयुक्त मार्ग की विवेचना कर लेता है,

किंतु मूर्खों की मूर्खता धोखा है.

दोष बलि मूर्खों के लिए ठट्ठा का विषय होता है,

किंतु खरे के मध्य होता है अनुग्रह.

मनुष्य को स्वयं अपने मन की पीडा का बोध रहता है

और अज्ञात व्यक्ति हृदय के आनंद में सम्मिलित नहीं होता.

दुष्ट के घर-परिवार का नष्ट होना निश्चित है,

किंतु धर्मी का डेरा भरा-पूरा रहता है.

एक ऐसा भी मार्ग है, जो उपयुक्त जान पड़ता है,

किंतु इसका अंत है मृत्यु-द्वार.

हंसता हुआ व्यक्ति भी अपने हृदय में वेदना छुपाए रख सकता है,

और हर्ष के बाद शोक भी हो सकता है.

विश्वासहीन व्यक्ति अपनी ही नीतियों का परिणाम भोगेगा,

किंतु धर्मी अपनी नीतियों का.

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